Bharatpur News: बी.डी.ए के 122 करोड़ के बजट में 670 करोड़ के ऋण का प्रावधान:पुनर्भुगतान की चुनौती

Bharatpur News: बी.डी.ए के 122 करोड़ के बजट में 670 करोड़ के ऋण का प्रावधान:पुनर्भुगतान की चुनौती

Bharatpur News: बी.डी.ए के 122 करोड़ के बजट में 670 करोड़ के ऋण का प्रावधान: पुनर्भुगतान की चुनौती

Bharatpur News: Provision of loan of Rs. 670 crore in BDA's budget of Rs. 122 crore: Challenge of repayment

नगर निगम व बीडीए के ऋण को मिलाकर हो जायेगा एक हजार करोड़ का ऋण
मुख्यमंत्री से राशि लेने का दिया सुझाव।

भरतपुर, 8 अप्रैल ! समृद्ध भारत अभियान के निदेशक सीताराम गुप्ता ने भरतपुर विकास प्राधिकरण (बी.डी.ए) के अध्यक्ष एवं जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि बी.डी.ए द्वारा पारित 122 करोड़ रुपये के बजट में 670 करोड़ रुपये के ऋण का प्रावधान किया गया है। उन्होंने आग्रह किया कि इस ऋण के बजाय मुख्यमंत्री से अनुरोध किया जाए कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य के अन्य संभाग मुख्यालयों को स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत स्वीकृत राशि के समान भरतपुर को भी राज्य सरकार से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराये। इससे बी.डी.ए को ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि नगर निगम ने सी.एफ.सी.डी (CFCD) के लिए पहले ही 376 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत कर रखा है। यदि बी.डी.ए भी 670 करोड़ रुपये का ऋण लेता है, तो शहर पर कुल ऋण भार 1,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा। नगर निगम द्वारा लिए गए ऋण के कारण पुनर्भुगतान में कठिनाइयां आ रही हैं, जिससे राज्य सरकार से समय पर सहायता नहीं मिल पा रही है। इसका असर निगम के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों के भुगतान पर भी पड़ रहा है। ऐसे में बी.डी.ए को भी भविष्य में ऋण पुनर्भुगतान में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

भरतपुर को एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में शामिल किया गया था, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने एनसीआर बोर्ड से कोई ऋण नहीं लिया, जबकि उस समय ब्याज दरें काफी कम थीं। अलवर नगर विकास न्यास ने एनसीआर बोर्ड से ऋण लेकर कई महत्वपूर्ण विकास कार्य कराए, लेकिन भरतपुर ने इस अवसर का उपयोग नहीं किया। इसके विपरीत, एनसीआर में शामिल होने के कारण भरतपुर कई पाबंदियों का सामना कर रहा है।

सीताराम गुप्ता ने सुझाव दिया कि निर्माण कार्य आवश्यकताओं के अनुरूप कराए जाएं। बजट में हीरादास, इंदिरा पार्क और ग्रामीण हाट में फूड प्लाजा बनाने का प्रावधान है, लेकिन पूर्व में बने विश्व प्रिय शास्त्री पार्क और मंसा देवी मंदिर के पास स्थित फूड प्लाजा बंद पड़े हैं। इनमें लाखों रुपये की लागत आई, लेकिन कोई उपयोग नहीं हो रहा। इसलिए, भविष्य में निर्माण कार्यों की योजना दूर दृष्टि व आवश्यकता को ध्यान में रखकर बनाई जाए।

इसके अलावा, गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उदाहरण के तौर पर, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के सामने मात्र छह महीने पहले लगाए गए बिजली के पोल सड़क चौड़ीकरण के कारण हटा दिए गए। इसी तरह, हाल ही में नुमाइश की दुकानों के पुनर्निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग की शिकायतें मिली हैं।

बी.डी.ए को ऋण लेने के बजाय राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। भविष्य में निर्माण कार्यों की योजना जरूरतों और दीर्घकालिक उपयोगिता को ध्यान में रखकर बनाई जाए। विकास कार्यों में गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए ताकि अनावश्यक खर्च और पुनर्निर्माण से बचा जा सके।

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