MP के Sant Siyaram Baba का निधन, 116 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

MP के Sant Siyaram Baba का निधन, 116 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

MP के Sant Siyaram Baba का निधन, 116 साल की उम्र में ली अंतिम सांस


Sant Siyaram Baba: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के भट्टियान स्थित आश्रम में आज सुबह प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा का निधन हो गया। 116 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। नर्मदा नदी के किनारे तपस्या, योग साधना और भक्ति के कारण वे जनमानस में अत्यधिक प्रसिद्ध थे। सियाराम बाबा का निधन उनके भक्तों के लिए एक गहरी क्षति है, क्योंकि वे लंबे समय से अपनी बीमारी के बावजूद आस्था और प्रेरणा का स्रोत बने हुए थे।

Sant Siyaram Baba स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ और चिकित्सा उपचार

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संत सियाराम बाबा लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका इलाज उनके आश्रम में ही चल रहा था, और इंदौर सहित विभिन्न शहरों के डॉक्टर उनकी सेहत पर लगातार निगरानी रखे हुए थे। हालांकि, उनके स्वास्थ्य में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ, और अंततः बुधवार को उनका निधन हो गया। उनकी तबियत को लेकर उनके भक्त लगातार प्रार्थनाएं कर रहे थे, लेकिन अंत में उन्होंने दुनिया को अलविदा ले लिया।

Sant Siyaram Baba आश्रम और बाबा का आध्यात्मिक जीवन

संत सियाराम बाबा का आश्रम खरगोन जिले के भट्टियान गांव में स्थित है, जो नर्मदा नदी के किनारे पर बसा है। यह स्थान उनके जीवन का केंद्र बिंदु था, जहां उन्होंने कई दशकों तक तपस्या और साधना की। उनकी दिनचर्या में प्रतिदिन रामायण की चौपाई का पाठ शामिल था, और वे पूरी तरह से साधना में समर्पित थे। यहां उनकी साधना और नर्मदा से जुड़ी उनकी गहरी आस्था ने उन्हें एक विशेष आध्यात्मिक पहचान दिलाई।

Sant Siyaram Baba चमत्कारों और आध्यात्मिक प्रभाव के लिए प्रसिद्ध

संत सियाराम बाबा अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए भी प्रसिद्ध थे। उनके आश्रम में आने वाले भक्तों को वे स्वयं हाथों से चाय पिलाते थे, और सबसे अद्भुत बात यह थी कि उनकी चाय की केतली कभी खत्म नहीं होती थी। यह एक चमत्कार के रूप में देखा जाता था, जो उनके दिव्य प्रभाव को दर्शाता था। इस चमत्कारी घटना ने उन्हें उनके भक्तों के बीच और भी श्रद्धेय बना दिया।

Sant Siyaram Baba दिव्यता और श्रद्धा का प्रतीक

संत सियाराम बाबा का जीवन अडिग निष्ठा, समर्पण और साधना का प्रतीक था। उनका 116 साल का लंबा जीवन और उनकी निरंतर साधना ने उन्हें एक आदर्श संत बना दिया। वे न केवल धार्मिक मार्गदर्शन देते थे, बल्कि लोगों को मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी प्रेरित करते थे। उनके जीवन के प्रति उनका समर्पण और उनकी दिव्यता उनके भक्तों के दिलों में हमेशा जीवित रहेगी। उनका निधन एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी शिक्षाएं और उनकी जीवनशैली हमेशा प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।

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