समावेशी विकास की कायर्योजना बनाने के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय कायर्शाला प्रारम्भ
समावेशी विकास के लिए प्राकृतिक खेती, गौ पालन और कुटीर उद्योगों को देना होगा बढ़ावा
कायर्शाला में देश के प्रमुख संत, कृषि वैज्ञानिक सामाजिक चिंतक ले रहे हैं भाग
भरतपुर, 29 नवम्बर। समृद्ध भारत अभियान द्वारा समावेशी विकास की कायर्योजना बनाने के लिए आयोजित की गयी दो दिवसीय राष्ट्रीय कायर्शाला शुक्रवार को राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय परिसर में प्रारम्भ हुयी जिसमें मुख्य अतिथि कनेरी मठ के मठाधिपति कड सिद्धेश्वर स्वामी मौजूद रहे और अध्यक्षता बीकानेर के संत शिरोमणि स्वामी विमशार्नन्द ने की। इस कायर्शाला में देशभर से आए संत शिरोमणि कृषि वैज्ञानिक सामाजिक चिंतक और जनप्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
कायर्शाला के शुभारम्भ के अवसर पर कनेरी मठ के मठाधिपति कड सिद्धेश्वर स्वामी ने कहा की आज हमारे देश में कृषि कायोर्ं में रासायनिक खादों के निरंतर उपयोग की वजह से करीब 30 प्रतिशत भूमि बंजर होती जा रही है और पशुओं की संख्या में भी निरंतर गिरावट आ रही है साथ ही परम्परागत उद्योग धंधे बंद होने के कारण बेरोजगारी की समस्या बढ़ती जा रही है। यदि यही स्थिति रही तो देश में खाद्यान्न संकट पैदा होगा और बेरोजगारी की भीषण समस्या पैदा हो जाएगी इसे रोकने के लिए हमें परम्परागत खेती अथार्त प्राकृतिक खेती पर ध्यान देना होगा और पशुपालन के साथ-साथ कुटीर उद्योगों को भी प्रोत्साहित करना होगा। उन्होनें बताया गया कि जब देश में कुटीर उद्योग कायर्रत थे जब देश की जीडीपी 43 प्रतिशत थी जो आज घटकर 6 से 7 प्रतिशत तक ही रह गयी है।
मठाधिपति ने कहा कि इस कायर्शाला में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए संत जो प्राकृतिक खेती, गौ पालन, वृक्षारोपण, कुटीर उद्योग व ग्राम विकास के क्षेत्रों में कायर् कर रहे हैं उनके ज्ञान को संकलित किया जाएगा और सरकार व आम लोगों तक पहुंचाकर इन कायोर्ं को प्रोत्साहन देने के लिए जागरूक किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि युवा पीढ़ी को ऐसे कायर् में आगे आना होगा क्योंकि वे स्वास्थ्य एवं शिक्षा के प्रति अधिक जागरूक हैं जब उन्हें प्राकृतिक खेती के उत्पादों की महत्ता समझ आएगी तो वे इस खेती को बढ़ावा देने में सहभागी बनेंगे उन्होंने बताया कि आज देश में मात्र 2 प्रतिशत क्षेत्र में ही प्राकृतिक खेती हो रही है जिसके उत्पादों में से 50 प्रतिशत को नियार्त कर दिया जाता है।
कायर्शाला की अध्यक्षता करते हुए बीकानेर के संत शिरोमणि विमशार्नन्द महाराज ने कहा कि भारत को पुनः विश्वगुरू बनाने के लिए जरूरी है कि हमारी प्राचीन व परम्परागत खेती, तकनीकी एवं ज्ञान को विस्तारित किया जाए। जिसके लिए सबको मिलकर कायर् करना होगा क्योंकि अकेली सरकार इस कायर् को नहीं कर पाएगी। उन्होनंे युवाओं से भी आग्रह किया कि वे ऋषि मुनियो द्वारा इजात की गयी पद्धतियों की महत्वता को समझें और उसे अपने जीवन में समावेश करें।
कायर्शाला में मोहबा के पूवर् सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल, पदमश्री अवाडर् प्राप्त सोनीपत हरियाणा के कमल सिंह चैहान, पलवल हरियाणा के आचायर् बृजमणि, महामंडलेश्वर नवर्दा शंकर पुरी, हमीरपुर बुन्देलखंड के आचायर् रविन्द्र, गुडगांवा के ब्रिगेडियर डाॅ. राजाराम आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। प्रारम्भ में समृद्ध भारत अभियान के निदेशक सीताराम गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया और कायर्शाला की उपादेयता पर विस्तार से जानकारी दी।