दिव्यांग समुदाय का अनोखा विरोध प्रदर्शन: बैसाखियों के सहारे मांगी भीख,पेंशन की मांग

भरतपुर, 9 जनवरी: राजस्थान के भरतपुर शहर में दिव्यांग समुदाय ने कलेक्ट्रेट के बाहर एक अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में दिव्यांग व्यक्तियों ने सरकार के खिलाफ नाराजगी जताते हुए एक नई रणनीति अपनाई, जिसके तहत वे भीख मांगने निकले, लेकिन उनका उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाना था। उनका कहना था कि जो भी पैसे वे भीख में प्राप्त करेंगे, उन्हें सरकार के राजकोष में जमा कर दिया जाएगा, ताकि सरकार की वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके।
दिव्यांगों की पेंशन: 1150 रुपए से कैसे हो सकता है गुजारा?
इस अनोखे प्रदर्शन का मुख्य कारण दिव्यांगों की पेंशन की कमी और समय पर न मिलने वाली राशि थी। राकेश नामक एक दिव्यांग व्यक्ति ने बताया, “हमारी पेंशन 1150 रुपए है, जो समय पर नहीं आती। क्या 1150 रुपए में कोई अपना गुजारा कर सकता है?” राकेश ने यह भी बताया कि जब तक पेंशन नहीं मिलती, उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं और हर बार कागजात में कोई न कोई कमी निकल आती है, जिससे उनका मनोबल टूट जाता है।
दिव्यांगों का कहना है कि यदि एक सरकारी कर्मचारी की तनख्वाह में एक दिन की देरी हो जाए तो पूरे महकमे में हलचल मच जाती है, लेकिन उनकी पेंशन महीनों तक नहीं आती और कोई ध्यान नहीं देता।
सरकार से रोजगार की मांग:
दिव्यांग समुदाय ने अपनी पेंशन को नियमित करने और समय पर मिलने की मांग की है। साथ ही, उनका यह भी कहना है कि यदि सरकार उन्हें पेंशन देने में सक्षम नहीं है तो उन्हें रोजगार उपलब्ध कराए ताकि वे अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें। वे चाहते हैं कि उन्हें भी समाज में समान अवसर मिले और वे भी एक सम्मानजनक जीवन जी सकें।
समाज में समान अवसर की आवश्यकता
यह विरोध प्रदर्शन केवल पेंशन की देरी के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह दिव्यांगों के लिए समान अवसर और सम्मान की मांग का भी प्रतीक था। दिव्यांग व्यक्तियों का यह आंदोलन समाज में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए था, ताकि उन्हें भी समाज में समानता और सम्मान प्राप्त हो सके।
भरतपुर में हुए इस अनोखे विरोध प्रदर्शन ने दिव्यांग समुदाय के समस्याओं को उजागर किया है। यह आंदोलन सिर्फ पेंशन की देरी का विरोध नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण संदेश भी है कि दिव्यांगों को समाज में समान अवसर, सम्मान और रोजगार की आवश्यकता है। सरकार को इस समुदाय की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और उनके लिए समुचित उपायों की दिशा में कदम उठाने चाहिए।